एक आदमी की मौत हो गयी और उसे अपने कर्मो के कारण नर्क की प्राप्ति हुई। उसने वहा जाकर देखा कि हर देश के लिए अलग-अलग नर्क है।
वह अमेरिकन नर्क में गया और पूछा कि यहां आत्माओ को किस तरह पीड़ा दी जाती है? उसे बताया गया – पहले तो वे आपको बिजली की कुर्सी पर एक घंटा बैठा कर , करंट लगते है , फिर आपको तीखे कीलो वाले बिस्तर पर नंगे बदन घंटा भर सुलाते है, फिर अमेरिकन राक्षस आता है जो दिन भर आपको चाबुक के कोड़े लगाता है
उस आदमी को यह सारा सिलसिला पसंद नहीं आया और वह आगे बढ़ गया। उसने आगे जाकर जर्मनी, जापानी, ऑस्ट्रेलियाई इत्यादि तमाम देशो के नर्क देख डाल। सभी में जैसी सजा अमेरिकन नर्क में दी जाती थी लगभग उसी किस्म की सजा, नर्क में आने वाले सभी आत्माओ को दी जाती थी। हाँ धरती पर किये गए पापो की गंभीरता के आधार पर समय में कुछ कमी-बेसी जरूर हो जाती थी।
घूमते-घूमते वह आखिर में भारतीय नर्क में पंहुचा। वहां उसने देखा कि नर्क में प्रवेश के लिए आत्माओ की हजारो मील लम्बी लाइन लगी है आस्चर्यचकित होकर उसने पूछा कि यहाँ किस किस्म की सजा आत्माओ को दी जाती है। जिसके कारण इतनी लम्बी लाइन लगी है ? उसे बताया गया कि – पहले तो वे आपको बिजली कि कुर्सी पर एक घंटा बैठा कर करंट लगते है फिर आपको तीखे कीलो वाले बिस्तर पर नंगे बदन घंटा भर सुलाते है, फिर भारतीय राक्षस आता है जो दिन भर आपको चाबुक के कोड़े लगाता है
उसे और ज्यादा आश्चर्य हुआ , उसने फिर पूछा – पर ऐसी ही सजा तो अमेरिकन और तमाम अन्य देशो के नर्को में भी है। पर वहां तो अंदर जाने वालो कि ऐसी भीड़ नहीं देख।
किसी ने उसकी जिज्ञासा शांत की – क्योकि यहाँ भीड़ के कारण बदहाली है। मेंटेनेंस बहुत घटिया है बिजली आती नहीं अतः बिजली की कुर्सी काम नहीं करती। बिस्तर से लोग कीलो को चोरी करके ले जा चुके है और कोड़े लगाने वाले भारतीय राक्षश , भारतीय शाशकीय सेवा में रह चुके है , जो आते तो है परन्तु हाजिरी रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कैंटीन चले जाते है।